Manna Dey
Zindagi Kaisi Hai Paheli
ज़िन्दगी कैसी है पहेली, हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये
ज़िन्दगी कैसी है पहेली, हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये

तो भी, देखो, मन नहीं जागे
पीछे-पीछे सपनों के भागे

हे, तो भी, देखो, मन नहीं जागे
पीछे-पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही
चला जाए सपनों से आगे, कहाँ?

ज़िन्दगी कैसी है पहेली, हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये

जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख-दुःख संग-संग झेले

हे, जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख-दुःख संग-संग झेले
वो ही चुनकर खामोशी
यूँ चले जाए अकेले, कहाँ?

ज़िन्दगी कैसी है पहेली, हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये