Richa Sharma
Kahin Aag Lage Lag Jaaye
पीड़ सहा नहीं जाए

जंगल में बोले कोयल कू कू कू कू कू कू
(कुकुकु)
जंगल में बोले कोयल कू कू कू कू कू कू
(कुकुकु)

कहीं आग लगे लग जावे
कोई नाग डसे डस जावे
कभी गगन गिर जावे
चाहे कुछ भी हो जाए
इस टूटे दिल की पीढ़ सही ना जाए

कहीं आग लगे लग जावे
कोई नाग डसे डस जावे
कभी गगन गिरे जावे
चाहे कुछ भी हो जाए
इस टूटे दिल की पीढ़ सही ना जाए

जाए जा ना जाए जिया
जाए जिया ना जाए जिया
हर वक़्त गुज़र जाता है
पर दर्द ठहर जाता है
सब भूल भी जाए कोई
कुछ याद मगर आता है
जिस पेड़ को बेल ये लिपटे
वो सूखे टूटे सिमटे
फूलों के बाग का वादा
पर काटें बने ज़्यादा
ना दावा लगा ना दुआ लगे
ये प्रेम रोग है हो हो हो
कहीं आग लगे लग जावे
कहीं आग लगे लग जावे
कोई नाग डसे डस जावे
कभी गगन गिर जावे
चाहे कुछ भी हो जाए
इस टूटे दिल की पीढ़ सही ना जाए

प्यार बड़ा हरजाई है
पर प्यार बिना तन्हाई है
दिल मत देना कहते हैं
सब दिल देते रहते हैं
जब नींद चुरा लेते हैं
रत जागे मज़ा देते हैं
खुशियाँ किसि के गम से
रौनक किसि के दम से
कोई वचन नहीं चलता है
कोई जतन नहीं लगता है
ना हो ये रोग तो सारे लोग लेलें वे जोग

जंगल में बोले कोयल कू कू कू कू कू कू
जंगल में बोले कोयल कू कू कू कू कू कू
(कुकुकु)
कहीं आग लगे
कोई नाग डसे
कभी गगन गिरे
चाहे कुछ भी हो जाए
इस सूने दिल की पीढ़ सही ना जाए
इस टूटे दिल की पीढ़ सही ना जाए
कहीं आग लगे
कोई नाग डसे
कभी गगन गिरे
चाहे कुछ भी हो जाए