Sonu Nigam
Do Pal
दो पल रुका ख़्वाबों का कारवाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ

तुम थे कि थी कोई उजली किरण?
तुम थे या कोई कली मुस्काई थी?
तुम थे या सपनों का था सावन?
तुम थे कि ख़ुशियों की घटा छाई थी?

तुम थे कि था कोई फूल खिला?
तुम थे या मिला था मुझे नया जहाँ?

दो पल रुका ख़्वाबों का कारवाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ

तुम थे या ख़ुशबू हवाओं में थी?
तुम थे या रंग सारी दिशाओं में थे?
तुम थे या रोशनी राहों में थी?
तुम थे या गीत गूँजे फ़िज़ाओं में थे?

तुम थे मिले या मिली थीं मंज़िलें?
तुम थे कि था जादू-भरा कोई समाँ?
दो पल रुका ख़्वाबों का कारवाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
दो पल की थी ये दिलों की दास्ताँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ
और फिर चल दिए तुम कहाँ, हम कहाँ