Sohail Sen
Bulleya
ओ बुल्लेया
ओ बुल्लेया
ओ बुल्लेया

अख चक लौ जनाब
थोड़ा तक्क लौ जनाब
सोणा मुख वेख के
कमाल हो गया
अरे अख चक लौ जनाब
थोड़ा तक लौ जनाब
तेरा तकणा बेमिसाल हो गया
हो साड्डी मर्ज़ी सी
सरे आम मर गए
हुस्ना दे तीर
साड्डे उत्ते चल गए
हो साथ तेरा
वाह कमाल हो गया
ओ बुल्लेया, दिल कित्थे चलेया
ओ बुल्लेया, दिल कित्थे चलेया
ओ बुल्लेया, दिल कित्थे चलेया
ओ बुल्लेया, दिल कित्थे चलेया

अख चक लौ जनाब...

हो इश्क दे बदली बर्सा
हो जा तू मेरी तरफा
हाँ तेरे पीछे मैं तो
सारा जग भुलेया
आँखें है कितनी सोणी
काजल मैं बनके सोणी
मैं तो तेरी आँखों में ही
जाऊँ घुलेया
हो वेख ले नज़ारे
करते इशारे
मैं नहीं कहता
कहते हैं सारे
हो साथ तेरा
वाह कमाल हो गया
ओ बुल्लेया...
आँखों में ज़्यादा सपने
प्यार के लिए हैं रखने
नींदों ने राहतों का
बूहा खोलेया
दिल में जो अरमां ढक ले
उम्मीदों से ज़्यादा रख ले
मंज़र खुशियों का है रंग डोलेया
हो एक एक करके
रंग ले नज़ारे
हाथों में भर के
खुशियों के तारे
हो साथ तेरा
वाह कमाल हो गया
ओ बुल्लेया...