Żarko
Darta Hoon (Adhoora)
डरता हूँ मैं खुद को चाहने से
डरता हूँ मैं तुझको पाने से

ना दिल देंदी बेदर्दी नु
ना रो रो अखियाँ लांडी
वे कड़े ना पछतण्डी मैं
जे पता हुँदा तेरे वल चल द

डरता हूँ न इंसान से
डरता हूँ तेरी दलेरी से

तेनु महरम नज़ीर बन बैठी
तेरे नाल मैं जिन्दड़ी ले बैठी
न लांडी ते न पछतण्डी
जे छड जाना सी हरजाइयां

दीखता है फ़रेब तेरी शिकं में
है बशर तू बना तमामी पे
नहीं हो सकता मैं तुम में से
नहीं चाहता हूँ मैं कुछ तुम से

तेनु महरम नज़ीर बन बैठी
तेरे नाल मैं जिन्दड़ी ले बैठी
न लांडी ते न पछतण्डी
वह कड़े ना पछतण्डी
वह कड़े ना पछतण्डी
वह कड़े ना पछतण्डी
वह कड़े ना पछतण्डी
वह कड़े ना पछतण्डी