Krishnakumar Kunnath
Aankhon Mein Teri
आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
हो, आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसे ये तेरी वो हवाएँ हैं
आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
हो, आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसे ये तेरी वो हवाएँ हैं
आई ऐसी रात है जो, बहोत खुशनसीब है
चाहे जिसे दूर से दुनिया, वो मेरे क़रीब है
कितना कुछ कहना है, फिर भी है दिल में सवाल कहीं
सपनों में जो रोज़ कहा है वो फिर से कहूँ या नहीं?
आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
हो, आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसे ये तेरी वो हवाएँ हैं
तेरे साथ-साथ ऐसा, कोई नूर आया है
चाँद तेरी रोशनी का, हल्कासा एक साया है
तेरी नज़रों ने दिल का किया जो हशर, असर ये हुआ
अब इन में ही डूब के हो जाऊँ पार, यही है दुआ
आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
हो, आँखों में तेरी अजबसी, अजबसी अदाएँ हैं
दिल को बना दे जो पतंग साँसे ये तेरी वो हवाएँ हैं