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Wafa Na Raas Aayee
रोऊँ या हँसूँ तेरी हरकत पे?
या फिर तेरी तारीफ़ करूँ?
मेरे दिल से तू ऐसे खेल गया
अब जी ना सकूँ, मर भी ना सकूँ

तेरी ज़हर भरी दो आँखों की
मुझे चाल समझ में ना आई

वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
सदियों ये ज़माना याद रखेगा, यार, तेरी बेवफ़ाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई

वादों की लाशों को बोल कहाँ दफ़नाऊँ?
वादों की लाशों को बोल कहाँ दफ़नाऊँ?
ख़्वाबों और यादों से कैसे तुम को मिटाऊँ?

क्यूँ ना मैं तुझे पहचान सका?
सच तेरे नहीं मैं जान सका

तेरे नूर से जो रोशन था कभी
उस शहर में आग लगाई

वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
सदियों ये ज़माना याद रखेगा, यार, तेरी बेवफ़ाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
जिस-जिस को मोहब्बत रास आई वो लोग नसीबों वाले थे
तक़दीर के हाथों हार गए हम जैसे जो थे
सुन यार मेरे, ओ, हरजाई, हम थोड़े अलग दिल वाले थे
पर जैसा सोचा था हम ने तुम वैसे ना थे

तूने वार किया सीधे दिल पे
और पलक भी ना झपकाई

वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई
वफ़ा ना रास आई तुझे, ओ, हरजाई