Jubin Nautiyal
Samandar
तू हीर मेरी, तू जिस्म मेरा
मैं राँझा हूँ, लिबास तेरा
तू हीर मेरी, तू जिस्म मेरा
मैं राँझा हूँ, लिबास तेरा

आ यूँ क़रीब तू, छु लूँ मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे-निशाँ

समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू
समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू

पहले थी बेवजह, फिर आके तू मिला
ख्वाबों को ज़िंदा कर दिया
अपने वजूद का हिस्सा बना दिया
क़तरे को दरिया कर दिया

शीरीं है तू, तू मेरी ज़ुबाँ
फरहाद हूँ मैं, अल्फाज़ तेरा
आ यूँ क़रीब तू, छु लूँ मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे-निशाँ

समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू
समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू
सेहरा की धूल थी, तुने क़ुबूल की
मैं आसमानी हो गई
जागू ना उम्र भर, जो मेरे हमसफ़र
बाहों में तेरी सो गई

तू लैला है, निगाह मेरी
मैं मजनु हूँ, तलाश तेरी
हो, आ यूँ क़रीब तू, छु लूँ मैं तेरी रूह
बिन तेरे मैं हूँ बे-निशाँ

समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू
समंदर मैं, किनारा तू
जो बिखरू मैं, सहारा तू