Ram Sampath
Rabba
कोई तारा चमके रूह में
और मुझको राह दिखाए
कोई करम हो सूने साज़ पे
और, और, और, और, और

रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल
रब्बा, क़िस्मत के दरवाज़े
अब तो खोल, खोल, खोल

रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल
रब्बा, क़िस्मत के दरवाज़े
अब तो खोल, खोल, खोल

मेरे सारे सपने
बंद हैं जिस बक्से में
रब्बा, कर दे उस बक्से में
कोई hole, hole, hole
रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल

जगमग-जगमग इन गलियों में
हमको थोड़ी जगह दिला दे
जगमग-जगमग इन गलियों में
हमको थोड़ी जगह दिला दे
वहाँ हमारा दिल ना माने
उठा वहाँ से, यहाँ बिठा दे
प्यार, उम्मीदें, सपने
डाले तूने मन में
सारे अरमानों को जगा के
ना कर झोल, झोल, झोल

रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल
रब्बा, क़िस्मत के दरवाज़े
अब तो खोल, खोल, खोल

ख़्वाब खौलते हैं आँखों में
रोज़ बोलते हैं बातों में
ख़्वाब खौलते हैं आँखों में
रोज़ बोलते हैं बातों में
आँखों में हैं, बातों में हैं
मगर नहीं आते हाथों में

सब्र की सीमा टूटी
दे-दे कोई बूटी
तेरे आगे पीट रहे हैं
कब से ढोल, ढोल, ढोल

रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल
रब्बा, क़िस्मत के दरवाज़े
अब तो खोल, खोल, खोल
रब्बा, और सहा ना जाए
कुछ तो बोल, बोल, बोल
रब्बा, क़िस्मत के दरवाज़े
अब तो खोल, खोल, खोल

कोई तारा चमके रूह में
और मुझको राह दिखाए
कोई करम हो सूने साज़ पे
और धुन पूरी हो जाए

एक लय चले, कुछ सुर बहें
ये सिलसिला चलता रहे
कभी बोल के, कभी बिन कहे
एक बात सी चलती रहे
कोई तारा चमके रूह में