Ram Sampath
Hona Hai Kya
ना मैं जानूँ, ना तू जाने
किस घड़ी में होना है क्या
ज़िंदगी के इस जुएँ में
पाना क्या है? खोना है क्या?

ना मैं जानूँ, ना तू जाने
किस घड़ी में होना है क्या
ज़िंदगी के इस जुएँ में
पाना क्या है? खोना है क्या?

जो भी हैं खुशियाँ, उनके ही साए में ग़म हैं
हाँ, जो मुस्कुराएँ, उनकी भी तो आँखें नम हैं
कोई जाए कहाँ?
होगी ये ही ज़मीं, और ये ही आसमाँ

ना मैं जानूँ, ना तू जाने
किस घड़ी में होना है क्या
ज़िंदगी के इस जुएँ में
पाना क्या है? खोना है क्या?

जो बात भी है, उसमें १०० माने छुपे हैं
हाँ, चेहरों के पीछे कितने ही चेहरे छुपे हैं
धोके का है धुआँ
धुँधला-धुँधला सा है आँखों में हर समाँ

ना मैं जानूँ, ना तू जाने
किस घड़ी में होना है क्या
ज़िंदगी के इस जुएँ में
पाना क्या है? खोना है क्या?
ना मैं जानूँ, ना तू जाने
किस घड़ी में होना है क्या
ज़िंदगी के इस जुएँ में
पाना क्या है? खोना है क्या?