Ram Sampath
Tu Zaroori Hai
सारे शहरों से परे खुला आसमाँ हूँ मैं
तेरी यादों को लिए चला कारवाँ हूँ मैं
तेरे हाथ की हथेली पे मेरे नाम की लकीरें हैं
तेरे इंतज़ार में सनम बीते साल के महीने हैं
लगा के गले मिटा दे यें इंतज़ार
तू ज़रूरी है, हाँ, ज़रूरी है
मेरे जीने को तू ज़रूरी है, तू ज़रूरी है
तू ज़रूरी है