[Verse 1]
रूठे रूठे से सवेरे
जागे जागे हैं अँधेरे
रूठे रूठे से सवेरे
जागे जागे हैं अँधेरे
लहरों को किनारे मिल जायेंगे सारे
पास हैं जो लगता है दूर
[Chorus]
के माना दिल दा ही मेरा है कसूर
ऐसे कोई वि ना होवे मजबूर
माना दिल दा ही मेरा है कसूर
ऐसे कोई वि ना होवे मजबूर
[Verse 2]
खोया है जो वो मिल जायेगा
टुटा है जो वो जुड़ जायेगा
तेरा मेरा ये सफ़र
जाने ले आया किधर
ख्वाब देखे थे जो
हो गए हैं चूर
[Chorus]
के माना दिल दा ही मेरा है कसूर
ऐसे कोई वि ना होवे मजबूर
माना दिल दा ही मेरा है कसूर
ऐसे कोई वि ना होवे मजबूर