B. Praak
तेरी मिट्टी
तलवारो पे सर वार दिये
अंगारो मै जिस्म जलाया है
तब जा के कही हमने सर पे
ये केसरी रंग सजाया है

आ मेरी जमीन अफसोस नही
जो तेरे लिये १०० दर्द साहे
मेहफूज रहे तेरी आन सदा
चाहे जान ये मेरी रहे ना रहे

आ मेरी जमीन मेहबूब मेरी
मेरी नस नस मै तेरा इश्क़ बाहे
फिका ना पडे कभी रंग तेरा
जिस्म से निकल के खून कहे

तेरी मिट्टी मै मिळ जावा
गुल बन के मै खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरझू …

तेरी नदीयो मै बेह जावा
तेरी खेतो मै लेहरवा
इतनी सी है दिल की आरझू…
वो….ओह

सरसो से भरे खालिया मेरे
जहा झूम के भांगडा पा ना सका…
आबाड रहे वो गावो मेरा…
जहा लूट के वापस जा ना सका
हो वतना वे मेरे वतना वे
तेरा मेरा प्यार निराला था
कुरबान हुआ तेरी असमत पे
मै कितना नसीब वाला था
तेरी मिट्टी मै मिळ जावा
गुल बन के मै खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरझू …

तेरी नादियो मै बेह जावा
तेरी खेतो मै लेहरावा
इतनी सी है दिल की आरझू…

केसरी ……!!

ओह हीर मेरी तू हसती रहे
तेरी आंख घडी भर नाम ना हो
मै मरता था जिस मुखडे पे
कभी उसका उजाळा कम ना हो !

हो माज मेरी क्या फिक्र तुझे
क्यू आंख से दरिया बेहता है
तू केहती थी तेरा चांद हु मै
और चांद हमेशा रेहता है

तेरी मिट्टी मै मिळ जावा
गुल बनके मै खिल जावा
इतनी सी है दिल की आरझू …
तेरी नादियो मै बेह जावा
तेरी खेतो मै लेहरावा
इतनी सी है दिल की आरझू…