Vishal & Shekhar
दुआ (Duaa)
किसे पुछु
है ऐसा क्यों
बेज़ुबान सा यह जहां है
ख़ुशी के पल
कहाँ ढूँढूँ
बेनिशाँ सा वक़्त ही यहाँ है
जाने कितने लुब पे गइले है
ज़िन्दगी से कई फ़ासले है
उसे जीते है सपने क्यों आँखों में
लकीरें छूती जब इन् हाथों से
बेवजह
जो भेजी थी दुआ
वह जाके आसमान
से यूँ टकरा गयी
के आ गयी है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वह जाके आसमान
से यूँ टकरा गयी
के आ गयी है लौट के सदा
साँसों ने कहा रूख मोड़ लिया
कोई राह नज़र में न आये
धड़कन ने कहा दिल छोड़ दिया
कहाँ छोड़ी इन् जिस्मों के साये
यही बार बार सोचता हूँ
तनहा मैं यहाँ
मेरे साथ साथ चल रहा है
यादों का धुंआ
जो भेजी थी दुआ
वह जाके आसमान
से यूँ टकरा गयी
के आ गयी है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वह जाके आसमान
से यूँ टकरा गयी
के आ गयी है लौट के सदा
जो भेजी थी दुआ
वह जाके आसमान
जो भेजी थी दुआ
भेजी थी दुआ
भेजी थी दुआ
भेजी थी दुआ
भेजी थी दुआ