Ranveer Singh
Doori
कोई मुझको ये बताये क्यूँ ये दूरी और मजबूरी
इस दुनिया की क्या स्टोरी किसके हाथ में इसकी डोरी
राईट में बिल्डिंग आसमान को छू री
लेफ्ट में बच्ची भूखी सड़कों पे सो री
कैसी ये मजबूरी पैसा रहना है ज़रूरी
नहीं तो कैसे होगी पूरी तेरी सीना जोरी
लम्बी गाड़ी जितनी किसकी खौली
आये चावल की खाली बोरी एक पैसो से भरी पूरी
कैसी ये मजबूरी हाँ, बोल ना

अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
अब कैसी ये मजबूरी है
अब सोचो कितनी दूरी है
अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
कैसी ये मजबूरी है
सोचो कितनी दूरी है

ये तो सारा 200 टक्का डन है
जितना काल तेरा मन उतना काल तेरा धन
वो तफरा शूट करते बोले गन
ये तरफ़ा करके है चिलम
वहां पे पेटी-पेटी रम
वहां पे खेती-खेती गंध
एक दुनिया में दो दुनिया उजाला एक अँधेरा
एक सेठ जी और एक चेला
कहीं तो मोती मेल में कोई जी रहा है अकेला
कहीं तो लोकल डिब्बे में है रेल पे है रेला
उनकी सेवा इनकी मेवा
अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
अब कैसी ये मजबूरी है
अब सोचो कितनी दूरी है
अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
कैसी ये मजबूरी है
सोचो कितनी दूरी है

घर पे सबके अपने अपने गम हैं
दीवारे ज्यादा और बोले कमरे यहाँ काम हैं
सोच में ये वज़न है क्योंकि खाली सब बर्तन है
मेरा करमा या करम है अब तो तोड़ना ये भरम है

मुझको सीने से लगा के कुछ नहीं कहती
मेरी माँ बस रोती मेरी माँ मेरी फौजी
मेरी माँ मेरी बोली लोरी मत रोना मत रोना
अब तो होनी अनहोनी अब होनी है अनहोनी माँ

अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
अब कैसी ये मजबूरी है
अब सोचो कितनी दूरी है
अब देखो तो हम पास हैं लेकिन
सोचो कितनी दूरी है
कैसी ये मजबूरी है
सोचो कितनी दूरी है