Mohit Chauhan
Boondein
कोई हो
यादों में
पलकों पे बूंदें लिए
आईना बनी
ये आंखें तेरी

धीमी सी
खुशबू है
हावाओं के झोकों ने जो
छुके तुझे
चुराई

सांसों की
राहों में
क्या मिल सकेंगे कभी
ढूंढे तुझे
नीघाएं मेरी

साथी थे
जन्मो से
राहों में क्यू खो गए
मंज़िल हमें
बुलाने लगी

नगमा हो
भीगा सा
या तुम हो कोई ग़ज़ल
हर पल जिस गुनगुनाता रहूं
होटों से
होले से
सरगम जो बेहने लगी
आने लगी
चाहे मेरी