कोई हो
यादों में
पलकों पे बूंदें लिए
आईना बनी
ये आंखें तेरी
धीमी सी
खुशबू है
हावाओं के झोकों ने जो
छुके तुझे
चुराई
सांसों की
राहों में
क्या मिल सकेंगे कभी
ढूंढे तुझे
नीघाएं मेरी
साथी थे
जन्मो से
राहों में क्यू खो गए
मंज़िल हमें
बुलाने लगी
नगमा हो
भीगा सा
या तुम हो कोई ग़ज़ल
हर पल जिस गुनगुनाता रहूं
होटों से
होले से
सरगम जो बेहने लगी
आने लगी
चाहे मेरी