Mohit Chauhan
Tu Woh Nahin
आवारा हवा से
पूछा एक बार
क्या तेरी नार कर रही है
मेरा इंतज़ार
कानों में मेरे गुंगुनाके
मुझसे वो दूर हो गई
सुकी हुई पतियों को उड़ा के
मुझसे के गई
तू बादल नहीं, तू सागर नहीं
लहरों की तरह, तू पागल नहीं
तू पागल नहीं
तू वो नहीं
तू वो नहीं, तू वो नहीं, तू वो नहीं
बेखबर सी कहीं जा रही थी
बंजारी नदी
लेहराके मोड़ों के जैसे
बलखा रही थी नदी
सोचा मैं हूं समुंदर
जा के उसे छु लिया
केह के वो दूर खो गई वादियों में
तूने ये क्या किया
तू बादल नहीं, तू सागर नहीं
लहरों की तरह, तू पागल नहीं
तू पागल नहीं
तू
तू वो नहीं
तू वो नहीं, तू वो नहीं, तू वो नहीं
तू
तू वो नहीं
तू बादल नहीं, तू सागर नहीं
लहरों की तरह, तू पागल नहीं
तू पागल नहीं
तू
तू वो नहीं
तू वो नहीं
तू वो नहीं
तू बादल नहीं, तू सागर नहीं
लहरों की तरह, तू पागल नहीं
तू पागल नहीं
तू
तू वो, तू वो नहीं
तू वो, तू वो नहीं
तू वो, तू वो नहीं
तू वो नहीं