Arijit Singh
Phir Le Aya Dil
फिर ले आया दिल मजबूर, क्या कीजे
रास ना आया रहना दूर, क्या कीजे

दिल कह रहा, उसे मुकम्मल कर भी आओ
वो जो अधूरी सी बात बाक़ी है
वो जो अधूरी सी याद बाक़ी है
वो जो अधूरी सी याद बाक़ी है

करते हैं हम आज क़ुबूल, क्या कीजे
हो गई थी जो हमसे भूल, क्या कीजे

दिल कह रहा, उसे मयस्सर कर भी आओ
वो जो दबी सी आस बाक़ी है
वो जो दबी सी आँच बाक़ी है
वो जो दबी सी आँच बाक़ी है
वो जो दबी सी आँच बाक़ी है

क़िस्मत को है ये मंज़ूर, क्या कीजे
गा पा नि धा रे नि रे नि धा नि धा मा धा पा

क़िस्मत को है ये मंज़ूर, क्या कीजे
क़िस्मत को है ये मंज़ूर, क्या कीजे
मिलते रहें हम बा-दस्तूर, क्या कीजे

दिल कह रहा है, उसे मुसलसल कर भी आओ
वो जो रुकी सी राह बाक़ी है
वो जो रुकी सी चाह बाक़ी है
वो जो रुकी सी चाह बाक़ी है
वो जो रुकी सी चाह बाक़ी है