[Chrosu]
(रुआँ रुआँ, रौशन हुआ
धुआँ धुआँ, जो तन हुआ)
[Verse]
पंछी चला, उस देस को
है जहाँ, रातों में, सुबह घुली
पंछी चला, परदेस को
के जहाँ, वक्त की, गाँठ खुली
[Chorus]
रुआँ रुआँ, रौशन हुआ
धुआँ धुआँ, जो तन हुआ
रुआँ रुआँ...
[Hook]
हाँ नूर को, ऐसे चखा
मीठा कुआँ, ये मन हुआ
रुआँ रुआँ...
[Verse]
गहरी नदी, में डूब के
आखरी, साँस का, मोती मिला
सदियों से था, ठहरा हुआ
हाँ गुज़र ही गया, वो काफिला
पर्दा गिरा, मेला उठा
खाली कोई, बर्तन हुआ
माटी का ये, मैला घड़ा
टूटा तो फिर, कंचन हुआ
रुआँ रुआँ...