Ved Sharma
Malang
रे ना हे ये हे ये ये
काफिरा तो चल दिया
इस सफ़र के संग
काफिरा तो चल दिया
इस सफ़र के संग
मंजिलें ना डोर कोई
ले के अपना रंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
मैं मलंग हाय रे
मैं बैरागी सा जियु
ये भटकता मन
मैं बैरागी सा जियु
ये भटकता मन
अब कहाँ ले जायेगा
ये आवारा मन
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
मैं मलंग हाय रे
है नसीबों में सफ़र तो मैं कहीं भी क्यूँ रुकूँ ओ
है नसीबों में सफ़र तो मैं कहीं भी क्यूँ रुकूँ
छोड़ के आया किनारे बह सकूँ जितना बहूँ
दिन गुज़रते ही रहे यूँ ही बेमौसम
रास्ते थम जाएँ पर रुक ना पाएँ हम
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
मैं मलंग हाय रे
हं हं हं हं
रूबरू खुद से हुआ हूँ
मुझमें मुझको तू मिला
हो रूबरू खुद से हुआ हूँ
मुझमें मुझको तू मिला
बादलों के इस जहाँ में
आसमां तुझमें मिला
पिघली है अब रात भी
ऐसे हर्ब ये नम
ना खुदा में तो रहा
बन गया तू धरम
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
मैं मलंग हाय रे
हू हू हू हो हो हो