बहती नदी का है रुख कल यहाँ
कल कहाँ क्या पता, क्या पता
यूँ चल दिया फिर कहीं यूँ बेक़रार
ये दिल अब मेरा ना रहा
किसी भी बहाने तुम तक आते थे
तुम्हें ये बताने के कितना चाहते थे
ऐसी बात थी
समझे नहीं जो हम समझाते थे
कह जाते थे या आँख चुराते थे
ऐसी बात थी
रात-भर सोए नहीं, थे सवालों में
जागे रहते हम तो तेरे ख़याल में
हम सा दीवाना तुम ने देखा है कहीं?
गुमसुम रहते, तेरी सारी बातें सही
दिल पे बनी है बस तेरी तस्वीर
मुझे क्या पता है क्या है मेरी तक़दीर
के मैं रहूँ पास तेरे रू-ब-रू
राहों में कभी तुम हम को मिल जाते
होंठ कभी भी शायद सिल जाते
ऐसी बात थी
ओ, जब से तेरे हम हवाले हुए
रास्ता नज़र आने लगा
थोड़ी जो वफ़ा हम तुम से करते हैं
यारों, ऐसा लगता है कम करते हैं
ऐसी बात थी
दिल ने नहीं जो कहा था कभी
वक़्त कहने लगा अब ज़रा
प्यार का तराना है ये, सुनों तो भला
तेज़ रफ़्तारी है ये क्या?
अरे, ठहरो तो ज़रा
ऐसा नसीबा हम दिलवालों का है ये
मिल के ना मिल पाए, क्या फ़ासला है ये
सच्ची वफ़ाओं का शायद सिला है ये
"पाएँगे फिर भी तुझ को" हौसल है ये