मैं हूँ प्यार का मुसाफ़िर, दिल खुश है आज मेरा
जहाँ मिले मोहब्बत वहीं मेरा बसेरा
मुझ को मिले सफ़र में कुछ धूप, कुछ अँधेरा
ये आरज़ू है पाऊँ; कुछ छाँव, कुछ सवेरा
मंज़िलें मेरी दूर हैं कहीं
लगता नहीं दिल मेरा यहाँ, मुझे जाने दो वहाँ
जहाँ होता हो सवेरा, खिले, घुल-मिले दिल तेरा
ना हो ग़म, ना डर किसी का और साथ भी होगा मेरा
ऐसी ही खुशी मिले हर कहीं
सँभले क़दम मेरे जहाँ मुझे जाने दो वहाँ
मुझ को तो ये यकीं है, मंज़िल मेरी करीब है
जो ढूँढे मेरा दिल, आसपास यहीं कहीं है
चाहतें मेरी पूरी हों गईं, मिल गया मुझे वो आशियाँ
मुझे जाने दो वहाँ