Atif Aslam
Main Rang Sharbaton Ka
[Intro: Atif Aslam]
ख़्वाब है तू, नींद हूँ मैं, दोनों मिले, रात बने
रोज़ यही माँगूँ दुआ, तेरी-मेरी बात बने, बात बने

[Chorus: Atif Aslam]
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे ख़ुद में घोल दे तो, मेरे यार, बात बन जानी

रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे ख़ुद में घोल दे तो, मेरे यार, बात बन जानी
रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी

[Post-Chorus]
ਹੋ, ਯਾਰਾ, ਤੁਝੇ ਪਿਆਰ ਕੀ ਬਤੀਆਂ ਕਿਆ ਸਮਝਾਵਾਂ
ਜਾਗ ਕੇ ਰਤੀਆਂ ਰੋਜ਼ ਬਿਤਾਵਾਂ, ਇਸਸੇ ਆਗੇ ਅਬ ਮੈਂ ਕਿਆ ਕਹੂੰ?
ਹੋ, ਯਾਰਾ, ਤੁਝੇ ਬੋਲਦੀ ਅੱਖੀਆਂ, ਸਦਕੇ ਜਾਵਾਂ
ਮਾਂਗ ਲੇ ਪੱਕੀਆਂ ਆਜ ਦੁਆਵਾਂ, ਇਸਸੇ ਆਗੇ ਅਬ ਮੈਂ ਕਿਆ ਕਹੂੰ?

[Verse 1: Atif Aslam]
मैंने तो धीरे से, नींदों के धागे से बाँधा है ख़्वाब को तेरे
मैं ना जहाँ चाहूँ, ना आसमाँ चाहूँ, आजा हिस्से में तू मेरे

[Pre-Chorus 1: Atif Aslam]
तू ढंग चाहतों का, मैं जैसे कोई नादानी
तू ढंग चाहतों का, मैं जैसे कोई नादानी
मुझे ख़ुद से जोड़ दे तो मेरे यार, बात बन जानी
[Chorus: Atif Aslam]
रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे ख़ुद में घोल दे तो, मेरे यार, बात बन जानी
रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी

[Verse 2: Chinmayi Sripada]
मैंने तो धीरे से, नींदों के धागे से बाँधा है ख़्वाब को तेरे
मैं ना जहाँ चाहूँ, ना आसमाँ चाहूँ, आजा हिस्से में तू मेरे

[Pre-Chorus 2: Atif Aslam]
तू ढंग चाहतों का, मैं जैसे कोई नादानी
तू ढंग चाहतों का, मैं जैसे कोई नादानी
मुझे ख़ुद से जोड़ दे तो मेरे यार, बात बन जानी

[Chorus: Atif Aslam]
रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी

[Verse 3: Chinmayi Sripada]
तेरे ख़यालों से तेरे ख़यालों तक मेरा तो है आना-जाना
मेरा तो जो भी है, तू ही था, तू ही है, बाक़ी जहाँ है बेगाना

[Pre-Chorus 3: Atif Aslam]
तुम एक मुसाफ़िर हो, मैं कोई राह अंजानी
तुम एक मुसाफ़िर हो, मैं कोई राह अंजानी
मन चाहा मोड़ दे तो मेरे यार, बात बन जानी
[Chorus]
रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी
मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी
मुझे ख़ुद में घोल दे तो मेरे यार, बात बन जानी
रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी

[Post-Chorus]
ਹੋ, ਯਾਰਾ, ਤੁਝੇ ਪਿਆਰ ਕੀ ਬਤੀਆਂ ਕਿਆ ਸਮਝਾਵਾਂ
ਜਾਗ ਕੇ ਰਤੀਆਂ ਰੋਜ਼ ਬਿਤਾਵਾਂ, ਇਸਸੇ ਆਗੇ ਅਬ ਮੈਂ ਕਿਆ ਕਹੂੰ?
ਹੋ, ਯਾਰਾ, ਤੁਝੇ ਬੋਲਦੀ ਅੱਖੀਆਂ ਸਦਕੇ ਜਾਵਾਂ
ਮਾਂਗ ਲੇ ਪੱਕੀਆਂ ਆਜ ਦੁਆਵਾਂ, ਇਸਸੇ ਆਗੇ ਅਬ ਮੈਂ ਕਿਆ ਕਹੂੰ?