कहानी की मेरी, साथिया, है ज़ुबाँ तू ही
कहानी की मेरी, साथिया, है ज़ुबाँ तू ही
ख़्वाबों से भी हसीं जो लगे, वो सुबह तू ही
है मेरी बंदगी में कोई तो दुआ, तू ही
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
है जीने की मेरे अब कोई तो वजह, तू ही
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
मैं पूरे का पूरा हूँ मैं अब नहीं
कि उस में से आधा है तू
या मुमकिन है मुझ में ही रहने लगा
मुझसे भी ज़्यादा है तू
लफ़्ज़ों में बोली जाए ना
बरकतें जो तू लाया है, हाँ
मानो सारा जहाँ मेरे
आँगन में सिमट आया है, आया है
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
पैरों को जो मेरे पंख दे, वो हवा तू ही
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी
कि तुझसे ही जादुई, जादुई
जादुई, जादुई, जादुई लगे ये ज़िंदगी