Jatin-Lalit
Chalte Chalte
चलते-चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं
बैठे-बैठे कहीं खो जाता हूँ मैं
कहते-कहते ही चुप हो जाता हूँ मैं

क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है

चलते-चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं
बैठे-बैठे कहीं खो जाता हूँ मैं
कहते-कहते ही चुप हो जाता हूँ मैं

क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है

तुमपे मरते हैं क्यूँ? हम नहीं जानते
तुमपे मरते हैं क्यूँ? हम नहीं जानते
ऐसा करते हैं क्यूँ? हम नहीं जानते

बंद गलियों से छुप-छुप के हम गुज़रने लगे
सारी दुनिया से रह-रह कर हम तो डरने लगे
हाए, क्या करने लगे?

क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है

चलते-चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं
बैठे-बैठे कहीं खो जाता हूँ मैं
कहते-कहते ही चुप हो जाता हूँ मैं
क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है

तेरी बातों में ये इक शरारत सी है
तेरी बातों में ये इक शरारत सी है
मेरे होंठों पे ये इक शिकायत सी है

तेरी आँखों को आँखों से चूमने हम लगे
तुझको बाहों में ले-ले कर झूमने हम लगे
हाए, क्या करने लगे?

क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है

चलते-चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं
बैठे-बैठे कहीं खो जाता हूँ मैं
कहते-कहते ही चुप हो जाता हूँ मैं

क्या यही प्यार है? क्या यही प्यार है?
हाँ, यही प्यार है, हाँ, यही प्यार है