बाबा लौटा दे मोहे गुडिया मोरी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी
चांदी का पैंजना भि
इक हाथ मै चिंगारीया
इक हाथ मै साज है
हंसे की है आदत हमे
हर घम पे भि नाज है
आज अपने तमाशे पे मेहफिल को
करके रहेंगे फिदा
जब तलक ना करे जिस्म से जान
होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा ……
मंझूर-ए-खुदा ………
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा
हो चार दीन की गुलामी
जिस्म की है सलामी
रूह तो मुद्दतो से आझाद है
हो.. हम नही है यहा के
रेहने वाले जहा के
वो शेहर आसमान मै आबाद है
हो खिळते हि उजाडना है
मिळते हि बिछडना है
अपनी तो कहाणी है ये
कागज के शिकारे मै
दरिया से गुजारना है
ऐसी जिंदगानी है ये
जिंदगानी का हमपे जो है कर्ज
कर के रहेंगे अदा
जब तलक ना करे जिस्म से जान
होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा
अनजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा………
मंझूर-ए-खुदा……..
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा
बाबा लौटा दे मोहे गुडिया मोरी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी
अमिताब बच्चन डायलोग
आजादी है गुनाह
तो कबूल है सझा
अब तो होगा वही
जो है मंझूर-ए-खुदा