Javed Ali
Tu Muskura
तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा
तू धुप की तरह बदन को छु ज़रा
शारीर से ये मुस्कुराहटें तेरी
बदन में सुनती हूँ में आहटें तेरी
लबों से आके छु दे अपने लब ज़रा
तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा
शारीर से ये मुस्कुराहटें तेरी
बदन में सुनती हूँ में आहटें तेरी

कैसा होता हैं ख्यालों में अक्सर
तुझको सोचूँ तो मेहेक जाती हूँ
मेरी रूह में बसी हैं तेरी खुशबू
तुझको छु लूं तो बाहेक जाती हूँ

तेरी आँखों में...
तेरी आँखों में कोई तो जादू हैं
तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा

तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा (तू मुस्कुरा)
तू धुप की तरह बदन को छु ज़रा (छु ज़रा)
शारीर से ये मुस्कुराहटें तेरी
बदन में सुनती हूँ में आहटें तेरी

तेज़ चलती हैं हवाओं की साँसें
मुझको बाहों में लपेट के छुपाले
तेरी आँखों की हसीं लोरियों मैं
मैं बदन को बीचा दूँ सुलाले
तेरी आँखों में...
तेरी आँखों में कोई तो नशा है
तू मुस्कुरा जहाँ पे है तू मुस्कुरा

तू मुस्कुरा जहाँ भी है तू मुस्कुरा
तू धुप की तरह बदन को छु ज़रा
शारीर से ये मुस्कुराहटें तेरी
बदन में सुनती हूँ में आहटें तेरी