Lata Mangeshkar
Woh Bhooli Dastan Lo Phir Yaad (From ”Sanjog”)
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
कहाँ से फिर चले आए ये कुछ भटके हुए साए?
ये कुछ भूले हुए नग़्मे जो मेरे प्यार ने गाए
ये कुछ बिछड़ी हुईं यादें, ये कुछ टूटे हुए सपने
पराए हो गए तो क्या, कभी ये भी तो थे अपने
ना जाने इनसे क्यूँ मिलकर नज़र शरमा गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
उम्मीदों के हसीं मेले, तमन्नाओं के वो रेले
निगाहों ने निगाहों से अजब कुछ खेल से खेले
हवा में ज़ुल्फ़ लहराई, नज़र पे बेख़ुदी छाई
खुले थे दिल के दरवाज़े, मोहब्बत भी चली आई
तमन्नाओं की दुनिया पर जवानी छा गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
बड़े रंगीं ज़माने थे, तराने ही तराने थे
मगर अब पूछता है दिल, "वो दिन थे या फ़साने थे?"
फ़क़त इक याद है बाक़ी, बस इक फ़रियाद है बाक़ी
वो ख़ुशियाँ लूट गईं, लेकिन दिल-ए-बर्बाद है बाक़ी
कहाँ थी ज़िंदगी मेरी, कहाँ पर आ गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई