Lata Mangeshkar
Aayi Abke Saal Diwali
आयी अबकी साल दीवाली
मुँह पर अपने ख़ून मले
आयी अबकी साल दीवाली
चारों तरफ़ है घोर अँधेरा
घर में कैसे दीप जले?
आयी अबकी साल दीवाली
बालक तरसे फुलझड़ियों को
दीप को दीवारें, दीप को दीवारें
माँ की गोदी सूनी-सूनी
आँगन कैसे सँवारे? आँगन कैसे सँवारे?
राह में उनकी जाओ उजालों
बन में जिनकी शाम ढले
आयी अबकी साल दीवाली
जिनके दम से जगमग-जगमग
करती थी ये रातें, करती थी ये रातें
चोरी-चोरी हो जाती थी
मन से मन की बातें, मन से मन की बातें
छोड़ चले वो घर में अमावस
ज्योति लेकर साथ चले
आयी अबकी साल दीवाली
टप-टप, टप-टप टपके आँसू
छलके ख़ाली थाली, छलके ख़ाली थाली
जाने क्या-क्या समझाती है
आँखों की ये लाली, आँखों की ये लाली
शोर मचा है, आग लगी है
कटते हैं पर्वत पे गले
आयी अबकी साल दीवाली
मुँह पर अपने ख़ून मले
चारों तरफ़ है घोर अँधेरा
घर में कैसे दीप जले?
आयी अबकी साल दीवाली